लक्ष्य संधान

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sandeep srajan

प्रदेश की बड़ी पंचायत के चुनाव की तैयारी का बिगुल बजते ही प्रतिष्ठित राजनीतिक पार्टीयों की तैयारी प्रारंभ हो गई । विभिन्न क्षेत्रों से हजारों उम्मीदवारों के आवेदन चुनाव लड़ने के लिए पार्टी कार्यालय में जमा होने लगे थे। पार्टी के वरिष्ठजनों को इन आवेदनों के आधार पर टिकट बांटने थी,लेकिन काम इतना आसान नहीं था। आखिरकार सभी आवेदकों को उनके जिला मुख्यालयों पर बुलाया गया और परीक्षा देने के लिए कहा गयासभी उम्मीदवार परीक्षा देने को तैयार थे।
एक जिले में पार्टी के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य आधुनिक द्रोणाचार्य के रूप में एक बंद कमरे में एकएक करके चुनाव लड़ने की इच्छा लिए आए उम्मीदवारों को बुलाने लगे और उनसे सिर्फ एक प्रश्न पूछने लगे-“तुम चुनाव क्यों लड़ना चाहते  हो?”
भावी उम्मीदवारों में एक ने कहा– “जनता की सेवा के लिए।
फिर दूसरे को बुलाया और द्रोणाचार्य ने वही प्रश्न दोहराया

दूसरे ने कहा- “जनता को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए।”
फिर तीसरे, चौथे, पांचवें याने जितने भी उम्मीद लेकर आए थे सभी से एक ही प्रश्न पुछा गया । सबने अपने अपने विवेक का उपयोग कर जवाब दिया जैसे-

तीसरे ने कहा- “सामाजिक भेदभाव खत्म करने के लिए।”
चौथे ने कहा- “अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए।”
पांचवे ने कहा- “भूख, भय और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए।”
छठे ने कहा- “समाजोत्थान व राष्ट्रोत्थान के लिए।”

सातवें ने कहा- “बदमाश और बेईमानों से शहर को मुक्ति दिलाने के लिए।”
आठवें ने कहा- “प्रतिद्वंदी पार्टी के उम्मीदवारों को हराने के लिए।”
इस तरह के जवाब देते हुए जब करीब पच्चीस लोग कमरे से बाहर आ चुके थे। तभी आखरी उम्मीदवार के रूप में शहर समाजसेवी के रूप में पहचान रखने वाले स्पष्ट वक्ता श्रीमान “आधुनिक अर्जुन” कमरे में गए। बंद कमरे में बैठे आधुनिक द्रोण ने उनसे भी यही सवाल किया- “तुम चुनाव क्यों लड़ना चाहते हो?”
श्रीमान “आधुनिक अर्जुन” निर्भीक होकर साथ में लाएं मुद्रा से भरा बेग खोलकर आधुनिक द्रोण के समक्ष रखते हैं और कहते हैं- “गुड खिलाकर शक्कर खाने के लिए।”
यह सुनकर आधुनिक द्रोणाचार्य मुस्कुरा देते हैं और श्रीमान आधुनिक अर्जुन कमरे से बाहर आ जाते हैं। द्रोणाचार्य बने पार्टी के वरिष्ठ पूरी रिपोर्ट बंद कमरे में तैयार करके पार्टी मुख्यालय भेजते हैं। पार्टी अध्यक्ष आगामी चुनाव के लिए श्रीमान आधुनिक अर्जुन को पार्टी का अधिकृत प्रतिनिधि घोषित कर देते हैं। चुनाव होता है श्रीमान आधुनिक अर्जुन गुड बांटकर चुनाव जीत जाते हैं, और महा पंचायत में पहुंचकर शकर खाने में व्यस्त हो जाते हैं। अर्थात सही लक्ष्य साध कर लक्ष्य संसाधन करने लग जाते हैं।

#संदीप सृजन

matruadmin

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।