Read Time2 Minute, 4 Second
दिल में हमें भी बसाकर तो देखो
सीने से जरा लगाकर तो देखो
पलकें बिछाए खड़े है राहों में तेरी
रुख से जरा पर्दा हटाकर तो देखो
मेरी आँख में है चाहत तुम्हारे लिए
नजर से नजर मिलाकर तो देखो
सँवर जाएंगे और सँवार देंगे तुम्हे भी
हाले दिल हमसे भी बताकर तो देखो
ईश्क में कहते है निखर जाता है इंसान
मोहब्बत हमसे भी जताकर तो देखो
यकिन करलो मरता है तुमपर”सागर”
नजदीक हमारे भी आकर तो देखो
#किशोर छिपेश्वर ‘सागर’
परिचय : किशोर छिपेश्वर ‘सागर’ का वर्तमान निवास मध्यप्रदेश के बालाघाट में वार्ड क्र.२ भटेरा चौकी (सेंट मेरी स्कूल के पीछे)के पास है। आपकी जन्मतिथि १९ जुलाई १९७८ तथा जन्म स्थान-ग्राम डोंगरमाली पोस्ट भेंडारा तह.वारासिवनी (बालाघाट,म.प्र.) है। शिक्षा-एम.ए.(समाजशास्त्र) तक ली है। सम्प्रति भारतीय स्टेट बैंक से है। लेखन में गीत,गजल,कविता,व्यंग्य और पैरोडी रचते हैं तो गायन में भी रुचि है।कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती हैं। आपको शीर्षक समिति ने सर्वश्रेठ रचनाकार का सम्मान दिया है। साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत काव्यगोष्ठी और छोटे मंचों पर काव्य पाठ करते हैं। समाज व देश हित में कार्य करना,सामाजिक उत्थान,देश का विकास,रचनात्मक कार्यों से कुरीतियों को मिटाना,राष्ट्रीयता-भाईचारे की भावना को बढ़ाना ही आपका उद्देश्य है।
Post Views:
673