दिन ढलने को हैं
शाम होने को हैं
तेरी याद बार- बार
क्यो आने को हैं
कमबख्त क्यो
न जाने को हैं?
पल दो पल मेरे
रहने दे बस मुझे
ये जिंदगानी जीने दे
पता है न मेरे रोम-रोम
हर साँस में बसा है तू
फिर क्यों इतना
परेशां करता है तू।
#नेहा लिम्बोदिया
परिचय : इंदौर निवासी नेहा लिम्बोदिया की शिक्षा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में हुई है और ये शौक से लम्बे समय से लेखन में लगी हैं। कविताएँ लिखना इनका हुनर है,इसलिए जनवादी लेखक संघ से जुड़कर सचिव की जिम्मेदारी निभा रही हैं। इनकी अभिनय में विशेष रुचि है तो,थिएटर भी करती रहती हैं।
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Mon Sep 10 , 2018
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