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चुप रहने से कहाँ कोई मसला सुलझता है।
बोल दो गलत बोल दो और ये उलझता है।
चंद लोग ही हैं जो ख़ामोशी को पढ़ते है
वर्ना हर कोई आपको कायर ही समझता है।
एहसास तो दब कर रह गये किसी कोने में
बच्चा बच्चा अब हर बात पे उलझता है।
प्यार ,मोहब्बत की बात अब दूसरे युग की
सोचे हर कोई कि मुझको कितना बचता है।
माँ की कोख भी अब तो बिकने लगी है रे
क्या पता ,किसका बच्चा किसकी कोख पलता है।
#सुरिंदर कौर
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