# गोपाल कौशलपरिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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मालवा – निमाड की संस्कृति हैं संजा
बेटियों की मधुर अभिव्यक्ति हैं संजा ।।
परस्पर प्रेमभाव की अनुभूति हैं संजा
संघर्षों में जीने की आदिशक्ति हैं संजा।।
परिवार संचालन का गुणगान हैं संजा
बेटियों का मान – सम्मान है संजा ।।
लोकगीतों की पहचान हैं संजा
बेटी बचाओं-बेटी पढाओं का गान हैं संजा ।।
सोलह दिवस का भव्य त्यौहार है संजा
मांडना कला का दिव्य उपहार हैं संजा ।।
प्रकृति का मनमोहक श्रंगार हैं संजा
समर्पण,त्याग,सद्भाव का संस्कार हैं संजा ।।
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