तरुणसागर चालीसा के अंश

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dashrath
  विनम्र श्रद्धांजलि
जयजयजयजय तरुणासागर।
सच्चाई  को किया उजागर। ।
ऋषभदेव से तुम अवतारी।
महावीर से सत्य विचारी।।
प्रताप शांति के घर जाये।
पवन जैन जब नाम धराये।।
चौदह बरस उमर थी भाई।
छोड़ खिलोना मुनिपद पाई।।
गढ छत्तीसा शिक्षा पाये।
क्रांतिकारी मुनि संत कहाये।।
सन अट्ठासी बीस जुलाई।
बागी डोरा  दीक्षा  पाई।।
पुष्पदंत मुनि दीक्षा दीनी।
मृत्यु बोध कथा जब चीह्नी।।
छुल्लकएलक अरुमुनि दीक्षा।
कठिन तपस्या घर घर भिक्षा।।
दीनबन्धु  करुणा के सागर।
ज्ञान धरम के तुम ही आगर।।
सत्य अहिंसा दिगम्बर  धारक।
सादा जीवन  उच्च विचारक।।
कड़वे वचन सभी को भाते।
दर्शन करने सब जन धाते।।
राष्ट्र संत के तुम अधिकारी।
संयम नियमा धरम पुजारी।।
युग दृष्टा अरु सांची वाणी।
जीवन निर्मल जैसा पानी।।
एक सितंबर सन् अट्ठारा।
देवलोक गमन भया तारा।।
यह चालीसा  जो कोई गावे।
सत्य मार्ग को तुरतहि पावे।।
  डॉ दशरथ मसानिया 
आगर मालवा (म प्र)

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