|।गोधूलि बेला।|

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vijay chouhan

स्वर्णिम आभा
बिखेरते हुए
सूरज ने किया
श्रृंगार

रम्भाति गायो के
झुंड में
लौट आई
शक्ति अपार

धूल उडाती
पगडंडी और
पक्षी करते
मनुहार

लो आ गई
गोधूलि बेला
गीत गाओ हजार

मंदिरो में बजती
घंटी और चोखट पर
है इंतजार

लो आ गई
गोधूलि बेला
करो दिल से
सत्कार।

#विजयसिंह चौहान

परिचय : विजयसिंह चौहान की जन्मतिथि  ५ दिसंबर १९७० और जन्मस्थान इन्दौर हैl आप वर्तमान में इन्दौर(मध्यप्रदेश)में बसे हुए हैंl इन्दौर शहर से ही आपने वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ विधि और पत्रकारिता विषय की पढ़ाई की हैl आपका  कार्यक्षेत्र इन्दौर ही हैl सामाजिक क्षेत्र में आप सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं,तो स्वतंत्र लेखन,सामाजिक जागरूकता,तथा संस्थाओं-वकालात के माध्यम से सेवा भी करते हैंl विधा-काव्य,व्यंग्य,लघुकथा व लेख हैl उपलब्धियां यही है कि,उच्च न्यायालय(इन्दौर) में अभिभाषक के रूप में सतत कार्य तथा स्वतंत्र पत्रकारिता में मगन हैंl 

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