“संघर्षों पर विजय मंत्र”

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aashutosh anand
अवसरों का लाभ लो तुम
              समय को पहचान कर।
बहुमूल्य जीवन के सभी
             ऋतुओं को अपना मान कर||
                 तुम श्रेष्ठ कृति हो ब्रह्म की
                            उस मनुज का अवतार तुम हो।
                 धरा, अंबर, सूर्य, ग्रह,
                                ब्रह्मांड का विस्तार तुम हो।
                 तुम जगत की श्रेष्ठता के
                                वास्तविक नायक बने हो।
                 तुम अखिल ब्रह्मांड के
                                 हर तत्व के गायक बने हो।
                 पुनः नवनिर्माण कर
                                निज शक्तियों को जान कर।
                 अवसरों का लाभ लो तुम
                                  समय को पहचान कर||
हैं बहुत अवरोध तो
            अवरोध का खण्डन करो।
मार्ग के हर शूल को
              तुम कर्म से चंदन करो।
हो नहीं भयभीत
             चाहे घोर अंधकार हो।
अंतर्निहित विश्वास दीपक
             से तिमिर प्रतिकार हो।
बढ़ चलो सन्मार्ग पर अब
             अडिगता को ठान कर।
अवसरों का लाभ लो तुम
              समय को पहचान कर||
                       हाथ हैं दोनों बंधे
                             यह समय है प्रतिकूल माना।
                       सन्मार्ग पर चलते हुए
                                कुछ हो गई हो भूल माना।
                       बंधनों के पाश में
                                जकड़े अकेले पड़ रहे हो।
                       शत्रु का संहार कर
                                बाधाओं से तुम लड़ रहे हो।
                       हो विजय उद्घोष फिर
                                गाण्डीव का संधान कर।
                       अवसरों का लाभ लो तुम
                                 समय को पहचान कर||

परिचय–

नाम- आशुतोष’आनंद’दुबे
पिता- स्व आनंद दुबे
माता- श्रीमती राजेश्वरी दुबे
जिला- बिलासपुर छत्तीसगढ़
विधा- ओज, श्रृंगार, गीत, छंद, मुक्तक, सामयिक कविताएँ, आदि। 
साहित्यिक संस्था- संयोजक, अरपांचल साहित्य समिति एवं राष्ट्रीय कवि संगम, उपजिला इकाई (पेण्ड्रा)। 

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।