ख्याल तेरा बहार बनकर जो  आये आना तेरा रोशन करता राह सारे तब्बसुम की खिदमत में  हैं सितारे आँखों में नमी देखा तुम्हारे  सोचता हूँ  आज चाँद फिर फीका सा क्यूँ है.. दर्द मीठा-मीठा गम भी सहते सारे  सनम ! पाक उल्फत है इसे कैसे संवारे होतेे गान छिड़ते नये […]

जिंदगी आ बैठ मेरी पहलु में करे कुछ  बातेंऔर मुलाक़ातें हम मुसाफिर इस   राह    के कदम कदम संग रहे  चलते पाने को ख़ुशी शांति ये जनम गोता राही समन्दर में लगाते सब यहाँ  हैं ढूंढते हीरे  मोती जाने क्या-क्या पाते  खोते तू मचलती उन जजबातों में औ दिल रातों में […]

रामकृष्ण की जन्मभूमि दिया कर्म  का ज्ञान यहाँ सदियों से पृथ्वी का ये गौरान्वित धरा रहा त्याग तपस्या योग यहाँ सदा था स्वतंत्र  धरा रौदानें को हमारी संस्कृति आते रहे अनेक लुटेरे सदा और जकड़ा छल  से शासन किया सालोंसाल पिंजड़े में कैद मनुष्यता छटपटाहट पोर पोर बसी कहाँ रुकी […]

   मुझे गुम हाे जाने दाे   आशाआें के जंगल में ।    वाे जंगल   जहाॅं सूरज की किरणें   पत्तियाें से छनकर    आती हैं ..   जाे दिखाता हैं रास्ता  मेरे चलते हुए कदमाें काे  मैं आतुर हाे जाती हूॅ  बहुत सारी इक्छाआें काे  मन में संजाेए […]

कहूँ क्या बात मैं चलन की कुरीतियों से   हुयी जकड़ी भारत के अनेक रहन  की कई   दुखद विचारों   की मानसिकता है अगन  सी साक्षरता कहीं किताबी सी भेद करते लोग बेहिसाबी सी लिंग तय करता पुरुष  भ्रूण कोसते स्त्री कोख खराबी की क्या करूं मैं बात चलन की दहेज़ भी […]

तुम बनो कान्हा मनभावन, मैं अधरों पे शोभित बाँसुरी। तुम लय ताल सखे, मैं राधिका गीत लय की। बरखा की छम-छम बूँदों-सा, छल-छल बहता हृदय सरल, प्रकृति के इस उपवन में खिलखिलाता पुष्प, सुरभित पवन…। कोयल की कुहू, भ्रमराें का गुंजन नाचे मयूर सतरंगी मन…। तुम बनो कान्हा मनभावन मैं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।