हम केशव हैं

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keshav
परेशानियों के डर से जीना छोड़ दें,
कष्ट हों तो क्या जिंदगानी छोड़ दें,
लोग साथ न दें तो चलना छोड़ दें,
आत्मविश्वास हो तो हर मिथक तोर दें,
लड़कर परेशानीयों को पीछे छोड़ दें,
हम केशव हैं!
क्या हार के डर से लड़ना छोड़ दें?
गरीबी,बेरोजगारी मजबूरी की बात करना मत,
लालची,बेईमानी और मक्करों से डरना मत,
ये सब एक दिन खत्म हो जाएगा,
जिस दिन हममें आत्मविश्वास आएगा,
क्या कहा?लोग बुराई कर रहे हैं,
तो क्या जीवन में आगे बढ़ना छोड़ दें,
सुनो! हे जहां के ईमानदार ढोंगियों,
हम केशव हैं!
क्या हार के डर से लड़ना छोड़ दें?
तन्हाइयों से भी डर नही लगता है हमें,
माँ बाप के चरणों मे है सब कुछ मिले,
हैं कष्ट हजारों अपने इस जीवन में,
बहुत दुःख झेले होंगे इस तन मन ने,
तो क्या?हम भी इनसे घबराकर जीना छोड़ दें,
हम केशव हैं!
क्या हार के डर से लड़ना छोड़ दें?
हम इतिहास को बदलकर रख देंगे,
हर मजबूर लाचार को सशक्त बना देंगे,
कल हम इस जहां में रहें या न रहें,
आप सब खुद की ताकत को पहचानिये,
अपने अंदर दफन हो रहे इंसान को जगाइये,
सब क्या सोचते हैं?
हम ये सोच सोच कर जीना छोड़ दें,
हम केशव हैं!
क्या हार के डर से लड़ना छोड़ दें?

 #केशव कुमार मिश्रा

 परिचय: युवा कवि केशव के रुप में केशव कुमार मिश्रा बिहार के सिंगिया गोठ(जिला मधुबनी)में रहते हैं। आपका दरभंगा में अस्थाई निवास है। आप पेशे से अधिवक्ता हैं।

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