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जाते जाते वो एक और अहसाँ कर गया।
खुशनुमा जिंदगी को वो वीराँ कर गया।
खुद को ढूंढने की कोशिश तो की मैने मगर,
शख्स वो लेकिन,मुझे अनजाँ कर गया।
इशक अपने की बातें ऐसे वो करता रहा
कुछ न सुना,बस ,मुझे बेज़ुबाँ कर गया।
मेजबां बनी रही, जिसके लिये मैं ताउम्
मेरे घर में ही मुझे,वो मेहमाँ कर गया।
दिल मेरा जिसके लिये सदा आशना रहा।
कयामत कि वो ही मुझे बेमकाँ कर गया।
#सुरिंदर कौर
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