पाकिस्तान अब कठघरे में

0 0
Read Time3 Minute, 45 Second
vaidik-1-300x208
पाकिस्तान अब एक नई मुसीबत में फंस गया है। फरवरी में सउदी अरब, तुर्की और चीन ने पाकिस्तान को बचा लिया था लेकिन अब इन तीनों राष्ट्रों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। अब पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय संगठन (एफएटीएफ), जिसका काम आतंकवादियों के पैसे के स्त्रोतों को सुखा देना है, ने पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा कर दिया है। यदि पाकिस्तान अगले सवा साल में अपने सभी आतंकवादी संगठनों की आमदनी पर प्रतिबंध नहीं लगा पाया तो उसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे। उसकी हालत उत्तर कोरिया और ईरान से भी बदतर हो जाएगी। अब पाकिस्तान की गिनती इथियोपिया, सर्बिया, श्रीलंका, सीरिया, ट्रिनिडाड, ट्यूनीशिया और यमन जैसे संकटग्रस्त देशों में होने लगेगी। वह नाम के लिए भी पाकिस्तान याने पवित्र स्थान नहीं रह पाएगा। उसे उद्दंड राष्ट्र (रोग़ स्टेट) की अपमानजनक उपाधि मिल जाएगी। पाकिस्तान के विरुद्ध कार्रवाई करने की पहल अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और भारत ने की है। पिछले तीन महिने में यदि पाकिस्तान अपने आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई कर देता तो सऊदी, तुर्की और चीनी सरकारें उसे अभी बचा लेतीं लेकिन उसका हाल तो यह है कि उसकी कठघराबंदी के कुछ घंटे पहले ही उसने मौलाना लुधयानवी के अहले-सुन्नत नामक आतंकी संगठन पर से प्रतिबंध उठा लिया था। उसने हाफिज सईद को नजरबंद करने का दिखावा जरुर किया लेकिन अब भी वह पूरे पाकिस्तान में खुलेआम में घुमता है। उसने अपना एक नया राजनीतिक दल भी बना लिया है। अहले-सुन्नत का एक कुख्यात नेता संसदीय चुनाव भी लड़ रहा है। पाकिस्तान ने उस अंतरराष्ट्रीय संगठन को जो 26 सूत्री कार्य-योजना दी है, उस पर यदि उसने सितंबर 2019 तक अमल नहीं किया तो पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय अछूत घोषित कर दिया जाएगा। उसे अब आतंकियों की नकदी की तस्करी, अफीम की बिक्री, आतंकियों को मिलनेवाले चंदे, सरकार और फौज से मिलनेवाले पैसों पर प्रतिबंध लगाना होगा। पाकिस्तान के कई विशेषज्ञों का कहना है कि नवाज और शाहबाज शरीफ की सरकार ने ही यह पैंतरा चला है ताकि पाकिस्तान की फौज के कान उमेठे जा सकें। मुझे यह निष्कर्ष बहुत तथ्यात्मक नहीं लगता। इसके अलावा मैं यह भी महसूस करता हूं कि 15 माह का समय बहुत ज्यादा है। सवा साल में भारत और पाकिस्तान की सरकारें बदल जाएंगी। दोनों देशों के चुनाव सिर पर हैं। क्या ही अच्छा होता कि यह संगठन (एफएटीएफ) पाकिस्तान को कुछ हफ्तों में कुठ ठोस कर दिखाने को मजबूर करता।
#डॉ. वेदप्रताप वैदिक

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

 महिमा हिंदी की

Mon Jul 2 , 2018
   मां जैसी ये प्यारी लगती ,    भारत मां के भाल पर सजती ।     भाषाओं की सिरमौर है पर,       अपने सम्मान को है तरसती ।।     सरल सहज आसान है हिंदी ,       एक नया विहान है हिंदी ।     […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।