ध्यान योग……

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sushil duggad
तन   और  मन  की  रहे  स्वस्थता  तो,
जीवन  भी  सदा  स्वस्थ बन जाता है ।
स्वास्थ्य   सुख   है  सर्वोच्च  जगत  में,
पहला सुख निरोगी काया कहलाता है।
पुरातन संस्कृति ने सिखाया हमें,
स्वस्थता सफलता की कुंजी है ।
विरासत में मिले हमें ध्यान योग,
जीवन  की सबसे बड़ी पूंजी है ।
वशिष्ठ,   कृष्ण,   महावीर,   पतंजलि,
आदि  शंकराचार्य  और  गोरखनाथ ।
प्राचीन  भारत  के  थे  सब महायोगी,
किया योग साधना को जग प्रख्यात ।
आज  नमन करता है जगत सारा,
ध्यान, योग साधना को बारम्बार ।
नमन  भारत  के  महयोगियों  को,
जग  नहीं  भूलेगा  यह  उपकार ।
आओं बढ़ें हम भी उस पथ पर,
जीवन   अपना  सफल बनाए ।
करें  “स्पर्श” स्वस्थता जीवन में,
स्वस्थ समाज और राष्ट्र बनाए ।
#सुशील दुगड़ “स्पर्श”
अंकलेश्वर(लुहारिया)

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