आज कि कविता एक नितान्त भाव है. जहाँ मैं पुरुष समाज की मांसिक स्तिथि को समझने की कोसिस कर रही हूं. कल मेरा सात साल का बेटा मुझसे पूछ बैठा, माँ तुम सबसे ज्यादा प्यारी किसे करती हो, उस वक़्त मै वात्सल्य मे डूबी असीम आनंद से सरोबार थी. मैने […]
समाज
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रोटी-कपडा-मकान जीवन के अनिवार्य तत्व थे, दौर में दवाई-पढाई-कमाई-आवाजाई और वाई-फाई जुड गए हैं । क्या इनके बिना अब जीवन की कल्पना की जा सकती हैं, कदाचित नहीं ! हम बात करें शिक्षा और स्वास्थ्य की तो वह दयानतहारी बनी हुई हैं, उसमें सुधार की और अधिक गुजांईश है। गौरतलब संविधान में शिक्षा और स्वास्थ्य […]