शादी के शुरुआती साल और अभी घूमने-घुमाने का दौर जारी था। वह जनवरी का सर्द महीना था, वह भी उत्तर भारत की सर्दी का मौसम। कार्यक्रम बना मुंबई घूमने का। कानपुर से मुंबई और वापसी के टिकट रेल में आरक्षित हो चुके थे। निर्धारित तारीख और समय पर हम लोग […]

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यूँ तो हमारे जीवन में छोटे-बड़े हादसे होते रहते हैं,जिन्हें हम भूल भी जाते हैं, और यदा-कदा याद भी कर लेते हैं, लेकिन,कुछ हादसे ऐसे होते हैं, जो संस्मरण बनकर हमारी स्मृतियों में गहरे पैठ जाते हैं। मेरे जीवन के स्मृति पटलसे ऐसा ही एक संस्मरण..         […]

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यही कोई दस साल पहले की बात है,जब मैं अफ्रीका में एक योजना पर काम कर रहा था। हमारा कैम्प शहर से काफी दूर था,जो जंगल और पहाड़ियों का मिश्रित इलाका था। दिन में तो फिर भी योजना में काम करने वाली कंपनियों की गाड़ियां और आते-जाते लोग दिख जाते थे,लेकिन शाम होते-होते सन्नाटा-सा […]

उनसे मेरी वह अंतिम मुलाक़ात किसी किस्म का संयोग भर ही कही जा सकती थी, क्योंकि मैं उनको बिना कोई पूर्व सूचना दिए, सहसा उनके उज्जैन स्थित निवास पर पहुँच गया था, जहाँ वे अपनी बेटी के साथ जीवन के आख़िरी वर्षों को गिन-गिन कर काटते जा रहे थे, क्योंकि […]

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९ अगस्त १९४६, माँ की उम्र उस समय २२ वर्ष १ माह और आठ दिन थी,वे प्रसव वेदना से जूझ रहीं थीं। गाडरवारा जो आज भी एक क़स्बा ही है,उस समय एक छोटे से व्यवस्थित गाँव की शक्ल लिए हुए था। श्रावण माह समाप्त होने वाला था,किंतु अपनी विदाई से […]

केरल की खूबसूरत  जगहों  में  से एक वेनाड की यात्रा  करना  जीवन  के हसीन पलों को अपनी स्मृति  में  संजो लेने  से कम नहीं है। समूचा वेनाड  जिला यूँ  तो सुरम्य प्रकृति,हरीतिमा,घने जंगल और जंगली जीवन का उन्मुक्त  नजारा  है,लेकिन अपनी गाड़ी  में  अपने पसंदीदा दल के साथ अगर आप […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।