खुद पे एतवार का चंद सवालों का झमेला यहाँ वक्त-वक्त का मेला रे। रोजी-रोटी-मकान का यहाँ झमेला रे। भूख की जात नहीं रोजी-रोटी की बात नहीं नंगे पांव चलते-चलते छाले का झमेला रे। तन ढका नहीं मन पढ़ा नहीं कह दिया नंगा रे, बात बात का झमेला रे। सर्दी गर्मी […]

अंहकार किसी का हो कष्टदायी ही होता है राम कभी नही बनने देता बस रावण हो जाता है राम जैसा भेष बना कर जो जनता बीच आये थे ऊंचे ऊंचे स्वप्न दिखाकर जनता को ठग गए थे वही भहरुपये भूल गए जनता से किये वायदों को किसान,मजदूर बेहाल हुआ व्यापारी […]

मेरा प्यारा भारत ऐसा हो , जहाँ गंगा जमुनी तहज़ीब पले , धर्म के नाम पर ना हों दंगे,  हर चेहरे पर मुस्कान खिले।  बेईमानी भ्रष्टाचार के दीमक से,  हो जाए मुक्त भारत प्यारा,  गरीबी बेरोजगारी दूर हटे,  ना रहे कोई खुद से हारा। मेरा देश ना बने कभी , […]

“जीना-मरना, मरना-जीना, ये तो सब ईश्वर का खेला, नेकी की बस राह चलें हम, ये दुनिया तो है इक मेला।। रोज ही होते नये तमाशे, कठपुतली सा नाच-नचाते, इतनी कठिन डगर जीवन की, हर आदमी लगे अकेला।। उसकी रहमत सब पर बरसे, यही दुआ हम करें हमेशा, सुख-दुःख की है […]

उजाले मंद हुए , मैं  मयखाने चला गया। जख्म उजागर ना हो,मैं पीता चला गया।। जैसे  जीवन  से  कभी  नफरत होती थी। बस मैं वैसे ही जीवन जीता चला गया।। चंद बूंदे मय की जो मुझ को छू गयी। मैं मयखाने को खुद जीता चला गया।। दिल  जो  अश्को  से  […]

कभी न कभी तो निकल आयेगा हल। ये जो आफते आ रही है  मुस्लसल।। न खटखटा कोई दर,न देख कोई राह उसके दरबार  ,बस तू   नंगे  पाँव चल ।। बीत गया गर आज अच्छा तेरा वक्त ठहर न पायेगा ,ये जो बुरा है पल।। कोशिश तू कर,न बैठ वादो पे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।