ज़माने से हुई ख़बर कि मैं सुधर गया फिर वो कौन था जो मेरे अंदर मर गया दूसरों की निगाहों से जो देखा खुद को आज देख कर अपना ही चेहरा क्यों डर गया वो अल्हड़पन,वो लड़कपन कल तक जो था आज ढूँढा बहुत,ना जाने किधर गया मैं खोजता रहा […]

मुझे देखते ही तेरे अधरों पे जो मुस्कान आती है वो मीठी सी मुस्कान मुझे घायल कर जाती है सालों बाद भी हम ऐसे रहते है मानों कल ही हुई हमारी शादी है अप्रतिम स्नेह लिए एक दूजे के हम नील गगन में फिरते हैं हल्की सी नोक झोंक भी […]

तेरे साथ रहना मुझे इनकार नहीं था बेवफा निकली तू,तुम्हें मुझसे प्यार नहीं था खोकर मुझे,तुम्हें भी जीना आसान नहीं होगा मेरे सिवा तेरा भी कोई अरमान नहीं होगा अब दिल के दर्द से मुझे बीमार मत करना निर्दोष हूँ मैं,मुझे गुनहगार मत करना इस टूटते रिश्ते को अब,तुम्हें ही […]

शून्यता से पूर्णता अनन्त तुम्हारा विस्तार है। सृष्टि के कण कण में विराजित तेरा ही साम्राज्य है। आख्यान तुम व्याख्यान  हो अपरिमेय संपूरित  ज्ञान हो हे अनादि अनदीश्वर तुम्ही सांख्य विषय कला और विज्ञान हो। सूत्र हो सूत्र धार हो नियति तुम करतार हो हो परिभाषित संचिता अपरिभाषित तुम भरतार […]

आप कहो कह दूँ सविता हृद को लगते वह चँद्र पिया रे। बुद्धि विवेक बड़ी शुचिता उर के सुर भी लगते अति प्यारे। कोमल सी छवि है प्रिय की नयना सुबहो नित साँझ निहारे। प्राण समान बसे हिय में मम साँस पिया मृदु  नाम उचारे।           […]

वो मुझे मेरी हद कुछ यूँ बताने लगा जो डूबा मेरे रंग में,बेहद बताने लगा इक आँधी चली और नेस्तोनाबूत हो गया वो दिया जो कल सूरज का कद बताने लगा जहाँ भी मिले अपनों के सर कटे हुए लाश अखबार उसी को बारहां सरहद बताने लगा पहले आँख फोड़ते […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।