यादों का इक दरिया, तेरे दिल की हर गली से हो  के  लौट आया  है। हर वो याद जिसमें, मेरी तन्हाईयों के तोहफे थे समेट  लाया था। तेरी दुनिया की सारी, वीरानियों  को आबाद कर खुद को तन्हा कर आया। यादों का इक दरिया, बहाकर सारे सितम खुशियों के चराग […]

ये ग़ज़ल है मेरी आपका घर नहीं, इसमें करवट न कोई बदल पाएगाl मैंने तेरे लिए इक ग़ज़ल लिख दिया, इसको पढ़ के मेरा दिल सम्हल जाएगाll ये ग़ज़ल….. जब तुम्हारे लिए आईना देखता, तुम हमारे ह्रदय में उतर जाती होl हुस्न का रंग तुम्हारा निखर जाता है, बातों-ही-बातों में […]

यारों आपकी दुआओं में हमें याद किया करो। नियति सुख में भूल, गमों में याद किया करो॥ अक्सर जब गम-ए-लम्हें नागिन बनके डंसते हैं। कुछ न सोचो, न डरो,जरा मदिरा पिया करो॥ यार छूटे, प्यार टूटे, दिल के टुकड़े हो जाए। डरना न कभी, काम हिम्मत से लिया करो॥ जीना […]

एक प्यारी बच्ची,जिसकी माँ नहीं है वो रात को छत पर अकेले बैठे-बैठे चंदा मामा से कहती है… चंदा मामा तुम आ जाओ, नींद न आती लोरी गाओ॥ बिन माँ आँचल जीवन सूना, चाहूँ माँ का प्रेम ही छूना॥ चंदा मामा तुम बतलाओ, प्रभु क्यों पाषाण मन बताओ॥ इनकी माँ […]

  मैं नारी हूँ, मुझे गर्व है, ईश्वर की श्रेष्ठ कृति हूँ मुझे घमण्ड है। वात्सल्य की मूरत हूँ, प्रेम की प्रेरणा हूँ। सहनशील हूँ सहज हूँ, दुर्गा भी और काली भी। हैं मेरे रूप अनेक पर, सबसे ऊपर मैं ‘माँ’ हूँ। अपने उदर से मैंने नवजीवन को जना है, […]

 डॉ. मनोहर भण्डारी…….. मातृभाषा किसी व्यक्ति,समाज,संस्कृति या राष्ट्र की पहचान होती है। वास्तव में भाषा एक संस्कृति है, उसके भीतर भावनाएं, विचार  और सदियों की जीवन पध्दति समाहित होती है। मातृभाषा ही परम्पराओं और संस्कृति से जोड़े रखने की एकमात्र कड़ी है। राम-राम या प्रणाम आदि सम्बोधन व्यक्ति को व्यक्ति से तथा समष्टि से जोड़ने वाली सांस्कृतिक […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।