पेड़ की डाली से जब सारे के सारे पत्ते झड़ नीचे आ जाते, पेड़ की एक-एक डाली के ऊपर फूल लद जाते। खास मौसम में ही पलाश फूल खिलते, वैसे ही तुम भी आते मुझ पर फागुन का पाग पलाश के फूलों से बने लाल रंग से लगाने। अर्ध चँद्राकार […]
स्वतंत्र-संस्थानों के कानून- वारांगणानों के हाव भाव- दोनों में है कितनी समानता- कितना मिलाव। चाँदी की चमक के माप पर बदलते भाव,वारा-कन्याओं के- मालिकों के लाभ-हानि के माप पर, बदलते कानून-स्वतंत्र संस्थाओं के। ज्यों हो कोई संगीत कुर्सी का खेल- रुक जाता है संगीत, बजते-बजते। खिलाड़ी हो जाते विवश- चलते-चलते। […]