सच तो यह है कि

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rameshwar
उनकी अपेक्षा बस इतनी है कि,
तुम उन्हें नहीं भुलाओगे।
मीठे-मीठे रंग घुले
अभी यहां दिख रहे,
सच तो यह है कि
भले वर्तमान करता हो
प्रदर्शन अपनी पहचानों की,
मीठा शरबत तभी बना
जब चीनी उसमें गल जाए।
अदृश्य कणों की आशा होगी कि तुम उनका भी परिचय करवाओगे,
उनकी अपेक्षा बस इतनी है कि तुम उन्हें नहीं भुलाओगे।
भवन की सारी खुशहाली
जिन स्तम्भों पर टिकी हुई है,
सच तो यह है कि
उन स्तम्भों की नींव भी
कहीं मिट्टी में धँसी हुई है,
भले ही श्रेय कई लेते हों
इस भरी खुशहाली का।
उन नींवों की आशा होगी कि तुम उनका भी परिचय करवाओगे,
उनकी अपेक्षा बस इतनी है कि तुम उन्हें नहीं भुलाओगे।
जिस आजादी में तुम बसते हो
जिसकी साँसों से तुम जीते हो,
सच तो यह है कि
जिस स्वतंत्र-वृक्ष की छाया में हो,
इसने भी बहुत का खून पीया
जो सपूत प्रहरी बनकर
शहीद हो गए सीमा पर।
उनकी आशा होगी कि तुम बलिदान व्यर्थ नहीं गँवाओगे,
उनकी अपेक्षा बस इतनी है कि,तुम उन्हें नहीं भुलाओगे॥
                                        #रामेश्वर मिश्र
परिचय: रामेश्वर मिश्र वर्तमान में भदोही(उत्तर प्रदेश) में बसे हुए हैं। फिलहाल अभियांत्रिकी के छात्र हैं। कविताएं, कहानी इत्यादि पढ़ना-लिखना आपकी पसंद है।

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