बचपन के घर ही अच्छे थे बटवारे का नही बिवाद एक साथ सब मिलकर रहते विभाजन की नही दिवाल खुशिया है हरएक भाग मे नही उठा है कोई सवाल यह घर मां की ममता का है रहने का सबका अधिकार विन्ध्य ने इसे महान कहा है भाई भाई का प्रेम […]

विश्वास जगत मे पाना है सबको अपना बनाना है हर चेहरे पर हो खुशी ऐसा अपनत्व निभाना है खाने लगे आपकी कसम ऐसा आचरण अपनाना है गैर शब्द की जगह न हो प्यार ऐसा बरसाना है आत्म स्वरूप मे रहना है परमात्मा को साथी बनाना है खुद हंसना ओर हंसाना […]

तुम्हारी काली साडी़ पहनना, मतलब एक घनी अंधेरी काली खामोशी का मेरे अन्तरमन में उतर जाना। समा जाना मेरी सांसो कि गहराईयो में, शायद ही एक एसा क्षण हो जिसमें न आता हो तुम्हारा चेहरा मेरी आंखो में, ओर उस काली साडी़ में तो तुम बैठ जाती हो मेरी नज़रो […]

दर्शन से तेरे मिलता है चैन, बिन दर्शन के राहु बेचैन चंद्रा प्रभु भगवन की, महिमा ऐसी जो है गा रहा संजय है, ऐसी महिमा को दर्शन से तेरे मिलता है चैन, बिन दर्शन के राहु बेचैन ऊँचे ऊँचे पर्वत, पर तेरा बसेरा है चढ़ न पाऊं में, जब तक तेरा सहारा न हो कैसे करूँ, तेरा दर्शन मार्ग दिखाओ मुझे , मेरे चंद्रा प्रभु दर्शन से तेरे मिलता है चैन, बिन दर्शन के राहु बेचैन चंद्रा प्रभु भगवन की महिमा ऐसी जो है पाप किये है ज्यादा, पुण्य का करता रहा दिखावा अंतर मन में जहर है , फिर कैसे करूँ तेरा दर्शन सत्संग सुना, जीवन को समझा अब में पास्ता रहूं, ये सब कुछ करके दर्शन से तेरे मिलता है चैन, बिन दर्शन के राहु बेचैन चंद्रा प्रभु भगवन की, महिमा ऐसी जो है गा रहा संजय है, ऐसी महिमा को            #संजय जैन परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी […]

छुपा कर तुम भी, मेरे दिल को रखती हो, अपने दिल के पास, मालुम है, दुनिया के झमेले में कहीं खो न जाये | छुपा कर हम भी तेरी तसवीर अपनी पनाहों में रखतें हैं | तुम्हे पता है की तुम से बिछड़ के कहां रह पातें हैं हम | […]

आँगल में अठखेलियां करता अबोध बच्चा बगल के कमरे में सोई हुई उम्र दराज दादी । खेत में पसीना बहाता पिता, घर के पीछे बने बाड़े में पशुओं का जुगाली करते हुए घर की दहलीज की और निहारना, माँ के होने का अहसास करवाते है। रसोई में व्यवस्थित पड़े बर्तन, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।