आँगल में अठखेलियां करता अबोध बच्चा
बगल के कमरे में सोई हुई उम्र दराज दादी ।
खेत में पसीना बहाता पिता,
घर के पीछे बने बाड़े में
पशुओं का जुगाली करते हुए
घर की दहलीज की और निहारना,
माँ के होने का अहसास करवाते है।
रसोई में व्यवस्थित पड़े बर्तन,
चूल्हे के की हुई ताजा पुताई,
चमकते हुए पानी से लबालब मटके,
आँगन में पतले तार पर झूलते हुए कपड़े,
गोबर की सुंगध बिखेरती दीवारे,
दूध से भरी हुई बाल्टी,
नवीन कवरो से लिपटी हुए बिस्तर,
किसी कोने में सहजता से पड़ी हुई झाड़ू ,
माँ के होने का अहसास करवाती है।
बच्चों के कपड़ो के पर लगे बेमेल दागो से सिले हुए बटन,
स्कूल के लिए बनाई हुई थैले की बेग,
घर की चक्की का हर रोज गतिशील मिलना,
दादी के लिए बनाई हुई खिचड़ी के दानो का पीसा हुआ होना,
पापा के कपड़ो पर की हुई
इस्त्री,
सुबह के बिस्तर मे अचानक चाय का आ जाना,
घर के हर कोने में,
चमक बिखेरती रंगाई,
माँ के होने का अहसास करवाती है।
#पवन-अनाम