नानी————! तुम मेरी कुम्हार और मैं तुम्हारे चाक पर घूमती मिट्टी थी । मैं घूमती रही तुम्हारे चाक पर तुम्हारी इच्छानुसार,, निर्विरोध ,लगातार ।। मैं तुम्हारी कच्ची मिट्टी जैसे चाहा ठोका,थपका ।। कभी बिगाड़ा, कभी बनाया।। मुझे पकाया,रंग चढ़ाया,, और …….वही बनाया जो तुम बनाना चाहती थी ,, मैं बनना […]