गृह लक्ष्मी का सम्मान करना बहुत आसान पुरुष प्रधानता का अहं छोड़ स्त्री पुरुष हो जाये समान दोनो है परमात्म सन्तान फिर करते क्यो अभिमान गृह क्लेश एक अभिशाप देता हर किसी को सन्ताप घरेलू हिंसा तो महापाप है परिवार विघटन का शस्त्र मात्र है शांति,सदभाव,प्रेम बढ़ाओ हर परिवार को […]

जहाँ पर हम जाते है , वहां पर तुम नहीं आते , जहाँ पर तुम आते हो, वहां पर हम नहीं जाते / मगर फिर भी हम दोनों, परिचित से लगते है , कोई हम को बताएगा, की ये कैसा रिश्ता है // न हम तुम को जानते है, न […]

मारा  हिन्दी  भाषा  से  हो  भाईचारा , बस यही  है  एक अंतिम पैगाम हमारा, डा अर्पण “अविचल” जी का है इशारा, जी हां “हिन्दी ग्राम “है  बस खेवनहारा, हमारे भारत वर्ष का बस एक  ही नारा, हिन्दी ही रही है राष्ट्रवादियों का सहारा, फिर हम अकेला  क्यों करे इसे किनारा, […]

एक समय था जब महात्मा गांधी और विनोबा भावे जैसे स्वतंत्रता सेनानी राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी और राष्ट्रीय लिपि के रूप में देवनागरी लिपि को स्थापित करने के लिए प्रयासरत थे। यहाँ तक कि शहीदे आज़म भगत सिंह ने भी अपनी मातृभाषा पंजाबी के […]

मै हूँ दिसम्बर तुम हो जनवरी याद तुम्हारी आते ही दौड़ जाती है बदन में सरसरी बिछा ली तेरी यादें जैसे हो तेरा इश्क़ एक गरम दरी मै हूँ दिसम्बर तुम हो जनवरी भूलूँ तो भला कैसे तुमको तुम ही तुम हो मुझमें हर पल हर घड़ी मै हूँ दिसम्बर […]

आओ तुम्हें तुम्हारे वादों में सूखी दरारें दिखाती हूँ .. वादे तुम करके भूलते हो. और उदास मैं हो जाती हूँ .. कब कहती हूँ.की तोड़ लाओ सितारे आसमान से .. मैं तो खुद सितारे टूटने के इंतज़ार में आंगन में सो जाती हूँ तुमसे तुम्हारा थोड़ा वक़्त मांगती हूँ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।