अपने मन के भावों को, उद्वेग से उठते बहावों को मै आज समेट कर हार पिरोना चाहता हूँ हाँ मै आज कुछ लिखना चाहता हूँ मेरे अन्दर मची हुई है जो हलचल, व्याकुल, व्यथा बाहर आने को रही है मचल, ना ही अपने विचारों का खुला दरबार लगाना चाहता हूँ हाँ, मै आज कुछ लिखना चाहता हूँ […]