मोती ये पलकों से गिरा ही दे अश्क दो-चार अब बहा ही दे ==================== दे नहीं सकता गर ईनाम मुझे कम से कम थोड़ी सी सज़ा ही दे ==================== दिल घबराता है अँधेरे से चिराग आस का जला ही दे ==================== हाल तो पूछने आ जा मेरा न दे […]

शिल्प ~ [(मगण भगण सगण)+गुरु] प्रति चरण 10 वर्ण चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत। यति प्रायः 4,6 वर्ण पर। 222    211   112   2 सीता माँ  के,चरण परूँ मैं। रामा जी का, वरण करूँ मैं।। ध्याऊँ  गाऊँ, कर कर पूजा। ऐसा   नाहीं, प्रभुवर दूजा।।           #नीतेन्द्र सिंह […]

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एक पीपल जिसे मैं सालों से देखती रही अकेला ! चुप, शांत और दु:ख से तड़फते हुए कंपकपातें होठ बोलना चाहते हो अपनी हजारों ख्वाहिशें कभी- कभी वो विद्रोह पर उतरता है और हिला देता है अपनी शाख -शाख , पत्ते मचल उठते हैं, मचा देते हैं शोर डालियों से […]

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माँ मैं माँ बनी हूँ तो अब ये सोचती हूँ क़ि जाने कैसे तुमने मुझको पाला होगा, मेरे हर छोटे-बड़े नखरे को कैसे तुमने सम्भाला होगा, मेरे रोने पर जब तुमने लिटाया होगा गोद में शायद मेरी तरह तुमने भी, अपने मुँह में एक निवाला ही डाला होगा… जाने कैसे […]

कभी बृज में बजी थी रागिनी-सी लग रही हो तुम, शरद के चन्द्रमा की चांदनी-सी लग रही हो तुम। दिल के तालाब में बनकर कमल उतर जाओ, आज बस एक मेरे प्रेम में संवर जाओ। हो अगर फूल तो,बदहाल मन के आंगन में, अपनी गंधों के रंग आ के यहाँ […]

वक़्त फिर किस्मत पे भारी हो गया है, चाँद रातों का शिकारी हो गया है॥ बादशाहत ख्वाब की जागीर थी बस, इश्क़ में ये मन भिखारी हो गया है॥ अनमनी-सी नाचती है जिंदगी भी, झूठ उनका जो मदारी हो गया है॥ पाई-पाई बेच देंगे इस खुशी में, के सनम मेरा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।