स्त्री देह को रौंदने वाली पाशविक मनोवृत्ति किसी युग में नहीं बदलेगी। कितने ही आन्दोलन हो जाएँ, कुर्बानियाँ दी जाएँ, स्त्री को उपभोग की वस्तु समझना बंद नहीं हो सकता कभी। प्रदर्शन की वस्तु, ख़रीदी-बेची जाने वाली चलती-फिरती गुलाम से अधिक नहीं है स्त्री देह का सच। बदला लेना है […]