बैसाखी के जश्न में क्यूँ ये दहशत खलल की है! आज भी नन्हे चेहरों की मुस्कान बेदखल–सी है।। ये वजूद मेरे भारत का सदियों याद किया जायेगा, नम अश्रु नयन से जलियांवाला कांड सदा रुलायेगा।। चल दिये कारवां लेकर शामिल होने बाग में, क्या पता था अंग्रेज़ी साज़िश बिछी है […]