भारत में अनेक भाषाएं एवं बोलियां है लेकिन उसके बावजूद लगभग हर शहर-क़स्बे में अंग्रेजी में लिखे बोर्ड आखिर गुलाम मानसिकता के अतिरिक्त क्या है? क्या उपरोक्त चित्र प्रमाण नहीं है कि ‘दिनदहाड़े हम निज भाषा गौरव रसातल की ओर ले जा रहे हैं।’ विचारणीय है कि आखिर क्यों  अंग्रेजी […]

कोई अपनी जात पे मेहरबान था कोई अपनी बात पे कुर्बान था किसी का अपने धर्म पे बलिदान था किसी को मराठी होने का गुमान था किसी को अपनी पंजाबियत का मान था तो कोई अपने गुजरात की शान था किसी के भाषावाद पे मैं हैरान था किसी का अलगाववादी […]

अयोध्या में भगवान श्री राम की जन्म भूमि पर भव्य मंदिर बने, इस बात को अब सभी कहने लगे हैं. चाहे कोई राजनेता हो या समाज शास्त्री, हिन्दू हो या मुसलमान. वह अलग बात है कि कुछ लोग यह डंके की चोट पर कहते हैं तो कुछ दबी जुबान में, […]

कितना भाग्यशाली था आदिमानव तब न कोई अगङा था न कोई पिछङा था हिन्दू-मुसलमान का न कोई झगङा था छूत-अछूत का न कोई मसला था अभावग्रस्त जीवन चाहे लाख मजबूर था पर धरने-प्रदर्शनों से कोसों दूर था कन्या भ्रूण-हत्या का पाप नहीं था किसी ईश्वर-अल्लाह का जाप नहीं था न […]

दूषित हुई हवा वतन की कट गए पेड़ सद्भाव के बह गई नैतिकता मृदा अपर्दन में हो गईं खोखली जड़ें इंसानियत की घट रही समानता ओजोन परत की तरह दिलों की सरिता हो गई दूषित मिल गया इसमें स्वार्थपरता का दूषित जल सांप्रदायिक दुर्गंध ने विषैली कर दी हवा आज […]

किसे याद न होगा आज से लगभग पांच वर्ष पूर्व उस समय  भाजपा अध्यक्ष और वर्तमान में केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘एक समय भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। आधुनिकता की चकाचौंध में सबकुछ खो गया है। मैं कहना चाहता हूं कि सबसे ज्यादा क्षति […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।