ये जो तुम आज ठूंठ देखते हो कभी हुआ करता था वृक्ष हरा भरा जिसकी हरियाली से थी घर में खुशहाली शीतल छाया में जिसके दिन भर की थकन पल में मिट जाया करती थी चारों तरफ को विस्तृत शाखाएं समेट लेती जेठ की चिलचिलाती धूप भरी दोपहरी भी जब […]
bharat
दिल कहूँ दिलबर कहूँ दिलदार दिलरूबा कहूँ, कभी तुम्हें सनम कहूँ कभी तुम्हें खुदा कहूँ, ============================ हमसफर तू हमकदम तू हमदम तू हमराज़ तू, तुमको ही मंज़िल कहूँ तुमको ही रास्ता कहूँ, ============================ मौजूद ना होके भी तू हर वक्त मेरे पास है, महबूब मेरे किस तरह मैं तुझको बेवफा […]
कब दीवारों से झाँकता है कोई, मुझको शायद मुगालता है कोई, ==================== मुड़ के देखा हवा का झोंका था, लगा ऐसे पुकारता है कोई, ==================== रूबरू होती है मुलाकातें, अब कहाँ चिट्ठी बांचता है कोई, ==================== इस तरह आजकल वो मिलता है, जैसे एहसान उतारता है कोई, ==================== तुम्हें मालूम […]