देश में ठलुओं की कमी नहीं है। ठलुओं को ठंड सबसे ज्यादा लगती है। ठलुओं और ठंड का वही रिश्ता है,जो बाबूओं का लंच समय में ताश का। ठंड आते ही ठलुए सड़क पर ऐसे निकल आते हैं जैसे `प्रेम-दिवस` से पहले लड़का दोस्त और लड़की दोस्त। ये दीगर बात […]

भारत भूमि में जन्मे हम,हुए हैं एक से एक महान। सुभाष शिवा भगतसिंह बोलो,जय-जय हिन्दुस्तानll विष्णु प्रकटे हैं यहाँ,हुआ वराह नृसिंह वामन अवतार।                                              राम-कृष्ण की जन्मभूमि ये,पुण्य से […]

कब टूट जाए किसे है पता, साँसों का कोमल तार है जीवन। बहने देना पर बहकने न देना, सरिता की शीतल धार है जीवन। मधुर माया-जाल में फंसना न ‘सावन’, सुन्दरी का सोलह श्रृंगार है जीवन। ऐ मन-मयूर! मत करना गुरूर, क्षणिक बसन्त-बहार है जीवन। सप्त-सुरों के सरगम से सुसज्जित, […]

तुम पतंग मैं धागा, भाग्यवान तुम मैं अभागा, कर्तव्य निभाया दृढ़ता से तुमने, मैं भागा तुम पतंग, मैं धागा। अपनी निष्ठा शिष्टाचार से, अपने सुलझे विचार से, अपनों के सहे वार से, अपने सुंदर परिवार से भूखा न जाने दिया द्वार से, इन्हीं सद्कर्मों की वजह से आपको काट,कोई धागे […]

न खेती है,न बाड़ी है,न घर है। फिर भी देखो कितना महंगा वर है॥ मन में उमंग नहीं,जीने का ढंग नहीं। जीवन के सागर में एक भी तरंग नहीं॥ सभ्यता-संस्कार नहीं,सोच में निखार नहीं। आपस में प्यार नहीं,शिक्षित परिवार नहीं॥ काला अक्षर भैंस बराबर है। फिर भी देखो कितना महंगा […]

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संस्कृतियाँ मिट रही है,सभ्यताएँ हो रहीं हावी। संसार मिट रहा है,सम्बन्ध भी मिट रहे भावीll अपने अपनों पर,ढा रहे हैं ज़ुल्म। बेटी पर पिता का मंजर,ऐ क्या हो तुमll तुम दशरथ-तुम जनक,हिरण्यकश्यप थे तुम। तुम सरल-तुम सह्रदय,श्राप और पाप तुमll तुम वह होकर भी,पिता हो। मृत्यु श्राप न होकर,तुम भाग्यविधाता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।