सुन लो मातु पुकार,दया बरसाने वाली। कभी शारदे मातु,कभी हो दुर्गा-काली॥ खड्ग गदा कर चक्र,सुशोभित वीणा-पुस्तक। मानवता रक्षार्थ,काट लेती अरि मस्तक॥ सकल गुणों की खान,सृष्टि की रचनाकारा। उद्भव अरु संहार,चराचर त्रिभुवन सारा॥ दुष्टों का कर नाश,धर्म अपनाना होगा। अवध न जाए हार,अवधपति ! आना होगा॥ […]