जयपुर| विशुद्ध स्वर्णिम संयम दीक्षा महोत्सव राष्ट्रीय कार्यकारिणी के प्रचार प्रमुख व  मातृभाषा उन्नयन संस्थान राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष श्री रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’ जयपुर  को  साहित्यिक क्षेत्र में उत्कृष्ट सृजन व समाज सेवा में उल्लेखनीय योगदान हेतु हरियाणा की साहित्यिक संस्था विलक्षणा एक सार्थक पहल समिति (रजि 02314) द्वारा […]

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पन्नों पर  लिखने से पहले, कविता मानस पटल लिखूँ। क्यों तन-मन में यह टूटन है, चटका मेरा भी दर्पण है क्यों जाते वो भूल व्यथा को, उपचार ‘अर्चना’,चिंतन है। घावों पर मलहम हो जाए, ऐसा अब नवनीत करुं। पन्नों पर लिखने से पहले, कविता मानस पटल लिखूं॥ देखो भू पर […]

तुम अतुलनीय हो, गूढ़ अर्थगर्भित भरा तुममें अकथ्य बन चुके अब तो, तभी मैं नहीं समझ पाई। तुम अनुपम हो, सदा अपठ्य रहे मेरे लिए मैं शब्दों में वर्णन नहीं कर सकती। तुम असीम हो, तुम आओगे वापस मैं अब अप्रत्याशित हो चुकी हूँ। तुम अनासक्त हो, अंतर्यामी हो मेरे […]

मशीनी सभ्यता का नायाब़ तोहफ़ा, असंवेदनशील जीव न होकर स्वचालित,परन्तु बनने के बाद कभी भी अनियंत्रित, दिल से नहीं अपितु दिमाग से चलता और रूकता हो। काश् तुम भी मानव नहीं, कोई ‘रोबोट’ होते! कम-से-कम साथ तुम्हारा रहता, जब चाहती पास लाकर प्यार करना-प्यार करती, जब चाहती नफ़रत करना तो […]

तेरा बेवफ़ाई पर मेरा इंतकाम तो कुछ भी नहीं, तेरा दिल भी निकाल लूँ तो मेरा दर्द कम न होगा, जो रोज मेरी आँखों से बिना रोके-टोके निकलता, शोर ज़रा भी नहीं करता। पर धड़कनों की गति में अवरोध पैदा करता, तो कभी रक्त के संचार में रूकावटें डालता है, […]

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पेड़ की डाली से जब सारे के सारे पत्ते झड़ नीचे आ जाते, पेड़ की एक-एक डाली के ऊपर फूल लद जाते। खास मौसम में ही पलाश फूल खिलते, वैसे ही तुम भी आते मुझ पर फागुन का पाग पलाश के फूलों से बने लाल रंग से लगाने। अर्ध चँद्राकार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।