‘कौन हूँ मैं’???,कितनी सहजता से हम इसे यत्र-तत्र चिंतन के विषय रूप में प्रस्तुत कर देते हैं। सत्य तो यह है कि, ये विषय है ही नहीं,अपितु ऐसा यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर तलाशते-तलाशते सदियाँ ही नहीं,अपितु न जाने कितने युग बीते हैं। कहते हैं कि जो इस प्रश्न का […]

यूं बिगड़ी है दुनिया की चाल देखिए। क्यों इंसा यहाँ है बेहाल देखिए॥ इनके पापा बेचारे हैं जेल में पड़े। और बेटी है घूमे नेपाल देखिए॥ ये भगवा पहन के हैं करते कुकर्म। सारी काली है इनकी ये दाल देखिए॥ सफ़ेदी है बेटों के बालों चढ़ी। पिताजी कर काले हैं […]

जीत-हार की बात नहीं, संघर्ष अभी भी जारी है, तब भी सीता हारी थी,तो अब भी सीता हारी है। कैसे कह दूँ रावण हारा,बस उसके जल जाने से, बचे हुए हैं कितने रावण,कर्मों का फल पाने से। हे राम कहो- क्या सचमुच तुमने रावण को ही मारा था, या फिर […]

निराकार साकार सर्वाणि रुपम, प्रियं भक्ति श्रद्धा न दीपम न धूपम। गरल कण्ठ धारी धरे शीश गंगा, बनी कण्ठ कण्ठी वो माला भुजंगा। भलो भाल चँदा है नन्दी सवारी, प्रभु प्यास पूरण करो अब हमारी। बाघम्बरं वस्त्र धारे शरीरं, प्रकल्पं परेशं प्रबद्धी परीशं। गुणी-निर्गुणी और जन्मे-अजन्मे, शवम् की भभूति लपेटे […]

ज़ख़्मों के उठे दर्द छुपाने नहीं आते। बिन बात यूँ हँसने के बहाने नहीं आते॥ हम जो भी हैं, जैसे भी हैं, है सामने तेरे। चेहरे पे नए चेहरे लगाने नहीं आते॥ हर शाम बिताता हूँ मैं तन्हाइयों के संग। बैठक में मेरे यार पुराने नहीं आते॥ इक बार ले […]

ख़ामोशी भी क्या गजब ढाने लगी। लब है चुप पर आँखें चिल्लाने लगी॥ है हवाओं में घुला कैसा जहर। साँस चलने से भी घबराने लगी॥ ज़ुल्म भी अब आ चुका अंजाम तक। सिसकियाँ अब ज़ोर दिखलाने लगी॥ आँखों से तेरी जो कुछ बूँदें गिरी। बन लहर वो मुझ से टकराने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।