हाँ! बिल्कुल महाकुम्भ-सा जिसके आस-पास तैरता है प्रेम जिसके आस-पास घूमते है शब्द जिसके आस-पास मंडराती है आत्मा समान पर्वत के विशालकाय, जिसने निश्चलता को जिया है जो किया वही तो कहा है वही उसने लिखा है आत्मा भी जिसकी बोझ विहीन शरीर पर कोई लबादा नहीं है तमगे कोई […]