तन से मन का बस ये ….कहना। फिर फिर जीना फिर फिर मरना। **** उसको देखो दुख मत …… देना। जिससे तुमने सीखा ……सहना। **** इन आँखों के आँसू……. पौंछो। मौत रही  है  मेरा…….. गहना। **** जब जाऊँ जग से मैं सुन लो। आँखों से कहना मत बहना। **** आज […]

इन्सान से इन्सान, अब भयभीत हो गए ।          भावना है मर गई          संवेदना झुलस गई,          व्यक्ति स्वार्थ हो गया          अर्थ व्यर्थ हो गया ।          प्रेम और सौहार्द का     […]

अब खुदा की भी इनायत हो गई है। प्यार करने की इजाजत हो गई है। क्यूँ नहीं रखता ये धीरज दिल मेरा भी। शोखियों को भी शिकायत हो गई है। चाशनी मे प्रेम की हैं …….डूबते हम। दूर हमसे अब हिकारत हो गई है। इक नजर में दे दिया ये […]

2122  1212  22 मयकदे की शराब हो जाते आप थोड़े ख़राब हो जाते ******* ख़ार होते नहीं जो दामन में। आप बेशक गुलाब हो जाते। ******** कनखियों से जोे देखती तुमको। उस हसीं का हिजाब़ हो जाते। ******** जिसमें क़लमा रहे मुहब्बत का। ऐसी कोई किताब…  हो जाते। ******* इक […]

शब्द की महिमा जानिये शब्द शब्द में सार शब्द से  खुलता सदा सुख और दुःख का द्वार ! शब्द सुशोभित होये जब शब्द करे श्रृंगार शब्द क्रोध से जा मिले बरसे बस अंगार !  शब्द सरलता से बहे जैसे गंगा धार अन्तर्मन् उजला करे सुखमय हो संसार ! शब्द की […]

किसी ने स्याह चश्मी से निहारा है। यही तो बस मुहब्बत का इशारा है। *************************** जबीं आया नज़र जो काकुलें बिखरीं। मेरे महबूब का प्यारा ……नज़ारा है। **************************** लटें खुलती लगे के छा रहे बादल। दिखे मुस्कान तो लगता बहारा है। *************************** तुझे उपमा भला क्या दूँ बता मुझको। कि […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।