तरोताज़ा सुघड़ साजा,सफ़र नित ज़िन्दगी होगा; जगत ना कभी गत होगा,बदलता रूप बस होगा। जीव नव जन्म नित लेंगे,सीखते चल रहे होंगे; समझ कुछ जग चले होंगे,समझ कुछ जग गए होंगे। चन्द्र तारे ज्योति धारे,धरा से लख रहे होंगे; अचेतन चेतना भर के,निहारे सृष्टि गण होंगे। रचयिता जान कुछ लेंगे,बिना […]