उल्टे-सीधे कागज़ भर के यों मत बटुवा भारी करिए। अब घंटी बजने वाली है,चलने की तैयारी करिए॥ मीठा बोलो और सभी के मन में अपना करो ठिकाना। ज्यादा दिन तक कौन रहेगा,फिर क्यों थानेदारी करिए॥ गंदले जल के स्रोत प्रदूषित करने को आतुर लगते हैं। करना है तो पावन गंगा […]