हम भारत के लोग हमेशा से नियम तोड़ने में विश्वास रखते है। नियम में रहे तो क्या जीवन। जीवन तो अलमस्त हो तभी मजा है। नियम तो वैसे भी गले में रस्सी जैसा होता है। साला एक सीमा में रहो इससे ज्यादा कुछ मत करो पर हम तो कुछ अलग […]

सौलह कलाओं वाले चन्द्रमा की रात शरद पूर्णिमा अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा का हिन्दु धर्म में विशेष महत्‍व है। ऐसी मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा […]

रावण को जन सामान्य में राक्षस माना जाता है। जबकि कुल,जाति और वंश से रावण राक्षस नहीं था। रावण केवल सुरों (देवताओं) के विरुद्ध और असुरों के पक्ष में था । रावण ने आर्यों की भोग-विलास वाली ‘यक्ष’ संस्कृति से अलग सभी की रक्षा करने के लिए ‘रक्ष’ संस्कृति की […]

150 वें जन्मशती वर्ष में वैचारिक भाव सुमन महात्मा गांधी के व्यक्तित्व,कृतित्व और अवदान पर आज भी लेखकों की लेखनी रूकी नहीं है, कवियों और वक्ताओं की वाणी थमी नहीं है। चिंतकों की चिंतनधारा कुंद या मंद नहीं हुई है। कर्मनिष्ठा,भावनिष्ठा और त्यागनिष्ठा को चरितार्थ कर गांधी ने एक ऐसी […]

सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग। और लोग क्या कहेंगे इसकी चिंता किए बगैर कुछ काम कुछ लोग कर लेते है तो बाद में मुँह दिखाने के लायक भी नहीं रहते। क्योंकि जब लोग कहते है तो इज्जत फालुदा ही बनता है। अब हनी ट्रैप को ही देख लो, लिव […]

बहत्तर साल की स्वतंत्र राजनीतिक एवं आर्थिक व्यवस्था के बाद भी देश में कई मुद्दे आज तक उलझे हुए हैं, जिनका समाधान केन्द्र सरकार नहीं कर पा रही है। जनता की मांग दो तरफा होने से सरकार ने भी आधे अधूरे निर्णयों को ही निरंतर बनाए रखा हैं। जिनमें से […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।