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सगर हृदय इच्छा जागी मैं चक्रवर्ती सम्राट बनूं, अश्वमेध यज्ञ मैं करवाकर,कुल और वंश जयवंत करूं। साठ हजार पुत्र मेरे,भला मुझको कौन हराएगा, अश्वमेध का घोड़ा मेरी,विजय ध्वजा फहराएगाll सिंहासन जब हिला इंद्र का सगर की पूजा मंत्रों से, ऋषि कुटी में बांधा अश्व को,इंद्र ने अपने तंत्रों से। देख […]

जीवन के चार पल बीत न जाएंग, दुख संत्रास घुटन पीड़ा में आओ हंस लें,जी लें गा लें।  हमसे ही तो है जमाना हम चाहें तो पर्वत झुक जाए, हम चाहें तो नदियों की धारा मुड़ जाए। तख्त जमीं पर आ जाए ताज सिरों पर सज जाए, फर्श अर्श पर,अर्श […]

सूरज ने मौसम से आशनाई कर ली, मौसम ने भी बादलों से यारी कर ली। पवन ने बिजलियों संग अंगड़ाई ली, उमड़-घुमड़ बदरी बरसी गर्जन तर्जन होने लगी। झांक झरोखों से बादल के बिजली नर्तन करने लगी, मावठ की बरसी बदरी खेतों में फसलें हरषी॥   #डॉ. नीलम परिचय: राजस्थान राज्य […]

कोहरे की चादर तान कर रात सितारों ने बिताई चाँदनी शब भर, शीत से ठिठुरती रही। देख अपने मित्र चाँद की बेबसी रवि ने झट प्राची से, उष्मित सिंदूरी आँचल डाल दिया। धीरे-धीरे फिर आँच देती अपनी असीमित बाहुपाश किरणों से, कोहरे की चादर समेटने लगा। सूरज के बाहुपाश में […]

किसी की गजल थी तो गुनगुनाई गई थी कभी, किसी की रुबाई थी तो साज पे गाई गई थी मैं। मयखानों में साकी बनी तो सहलाई गई थी मैं, रुख पे नकाब सजा था तो सराही गई थी मैं। बीच राह नल छोड़ गया खोई निशानी दुष्यंत भूल गया, कुदृष्टि […]

   दरकती नींवों पर रिश्तों की मीनार खड़ी देखी है, हमने बुलंदियों पे खड़ी दीवार गिरती देखी है। जिनकी सूरत में अपनी सीरत बनती देखी है, उन्हीं के इक वार से रग-रग टूटती देखी है। छल-कपट पर चढ़ी विश्वास की चादर देखी है, हमने सपनों के महलों की मीनार गिरती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।