‘अंतरराष्ट्रीय कविता दिवस विशेष’ अंतर्मन की, अभिव्यक्ति है मनोभावों की, सार्थक नियति है कविता। हर्ष विषाद, सबको उकेरे कविता.. हर लम्हे, को जीवंत करे कविता। कभी, अलंकारों से श्रंगारित कविता.. कभी, सादगी से सहज उपजती कविता। मौन, को मुखरित करती कविता.. शब्दों, को लय में पिरोती कविता। इंद्रधनुषी, रंगों का सृजन […]

जिससे मन की, नित मृत्यु हो.. उसको दें एक नया नाम। सारे अर्थों का एक साथ, मिल कर खोजें एक नया नाम।। जब भी सम्बन्धों से उठे ऊब , परतों से पर्त सरकती हो.. उखड़ी-उखड़ी सी, साँसों में , जीने की आस धड़कती हो। आओ, उन सबको एक साथ.. मिल […]

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क्या हो गया है मुझको, लौट आया है बचपन.. सठियाई तो नहीं पर, बरस बीते पचपन| साठ के दरमियाँ , दस और आठ की नादानियाँ.. याद आ रही है, गुदगुदा रही हैं | वे बेर और इमली याद आ रही है, खटटू और कैरी जिव्हा पे छा रही है.. वो […]

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अटल सौभाग्य चाहने के लिए आदिकाल से महिलाएं भगवान शंकर और पार्वतीजी की सच्चे मन से पूजा-अर्चना कर खीर-पूड़ी,दाल-भात का भोग लगाकर उनसे जीवन दाम्पत्य जीवन एवं परिवार की सुख समृद्धि,वंशवृद्धि का वरदान मांगती हैं। गणगौर पर्व के शुभारंभ को लेकर भिन्न-भिन्न मान्यताएं सामने आती हैं। कुछ का मानना है […]

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आरती पत्नी प्यारी की-सास की राजदुलारी की, मायके में फिरती इतराती-मियां को नखरे दिखलाती.. इठ्लाती और लहराती, चले तनके-माधुरी बनके, तीखी तेज़ कटारी की-सास की राजदुलारी की। ना माने बात पति की है,लगे ये बिना मति की, हमारी दुर्गति की है, करूं में क्या-दवा तो बता.. इस सरदर्द बीमारी की-सास […]

आँगन में चिड़िया को देख मुझको बचपन याद आया, बचपन में माँ-बाबा कहते थे,मुझको गौरेया। माँ कहती थी चिड़िया जैसी दिनभर उड़ती फिरती है, बाबा कहते देखो कैसी चिड़िया जैसी चुगती है। न जाने कब उड़ जाएगी गौरेया जैसी है बिटिया, खूब प्यार से रखते,मैं तो समझ न पाती उनकी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।