हम सब अपनी सहूलियत के परदों में इस कदर छिपे हुए हैं कि हर नई चुनौती हमें मज़बूरी लगती है हम अभ्यस्त हो गए हैं बासी ज़िन्दगी जीने के लिए जिसमें ताज़ा कुछ भी नहीं ना ही साँस और ना ही उबाँस हमें तकलीफ होती है जब रोज़मर्रा की लीक […]

मैं नारी हूँ और मैं शापित हूँ नरों की कुंठा झेलने के लिए और इस बेढंगे समाज में रोज़ नई प्रताड़नाओं से मिलने के लिए मैं कैसे तोड़ पाऊँगी इन सभी वर्जनाओं को जो इतिहास ने खड़े कर रखे हैं मेरे समक्ष जिनको आज़ादी है रोज़ नए संशोधन की जिससे […]

मैं रोज़ कुछ लिखता हूँ और भूल जाता हूँ कि कल क्या लिखा था क्या विषय था मेरे लिखने का और किस कारण मैंने ऐसा लिखा था मेरी उस कविता से कितना कुछ बदल गया और कितनी बेहतर स्तिथि में पहुँच गया ये समाज जिस में मैं रहता हूँ और […]

अपने खेतों,अपने बगीचों में जहर क्यों बो रहे हो मासूमों के चेहरे सियासी खून से क्यों धो रहे हो तुमने ही खुद जलाई हैं सारी की सारी बस्तियाँ अब अपना घर जला तो इस तरह क्यों रो रहे हो बच्चियाँ लुट गईं, खत्म हो गईं सब तहज़ीबें एक दिन सब […]

उसका वहशीपन देखकर मैं काँप गया हूँ वो बच्चियों का क्या हश्र कर गया होगा रेगिस्तान के सीने में कैद कितनी जुल्में है यहाँ पहुँचते-पहुँचते दरिया मर गया होगा आईने की धूल बहुत दफ़े साफ की उसने आज अपना बेशक्ल चेहरा देखके डर गया होगा जो गया वो शर्तिया ही […]

बस मुझे ही अपनी गलियों में यूँ ही न बुलाया कर कभी चाँद बनके तू भी मेरी छत पे आ जाया कर मैं जाता ही नहीं किसी भी मंदिर और मस्जिद में बस तू ही मुझे मेरे ईश्वर,खुदा सा नज़र आया कर मैं क्यों जाऊँ किसी भी काबा या काशी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।