तुम अतुलनीय हो, गूढ़ अर्थगर्भित भरा तुममें अकथ्य बन चुके अब तो, तभी मैं नहीं समझ पाई। तुम अनुपम हो, सदा अपठ्य रहे मेरे लिए मैं शब्दों में वर्णन नहीं कर सकती। तुम असीम हो, तुम आओगे वापस मैं अब अप्रत्याशित हो चुकी हूँ। तुम अनासक्त हो, अंतर्यामी हो मेरे […]