आसमान पर काली घटाएं छाने वाली है, बेवक्त जाने-अनजाने हम को हँसाने मन को गुदगुदाने धरती को वृक्षों से सजाने वाली है। आसमान पर…..॥ बह रही है नदियाँ निर्मल धारा बनकर, देख रहा है दुःख बेचारा बनकर, गूंज रहा सुख नारा बनकर धरती पर उगी मुलायम घास को गाय खाने […]