बीता पतझड़ का मौसम है आई बहार, देखो-देखो जी आया रंगों का त्यौहारl अब तो सूरज भी चंदा-सा शीतल लगे, रितु तरुणाई में अपने पागल लगे, फूल सरसों का लहरा के दिल से कहे.. प्रेम के रंग में रंग दो दिलदार, देखो-देखो जी आया…l गाँव के ताल में कुमुदिनी खिल […]
काव्यभाषा
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