अपनों से क्यों रुठी हो, अब मान भी जाओ गौरैया.. नन्हें-मुन्ने तुम्हें बुलाते, मेरे आँगन आओ गौरैया। दादी कहती रोज कहानी, जिसमें होती गौरैया.. दादू रखते दाना-पानी, बाग-बगीचे और मुंडेरे। छज्जे ऊपर डब्बा टांगा, पानी का सकोरा बाँधा.. चावल के दाने बिखराए, रहने आजा गौरैया। अपनों से क्यों रुठी हो, […]

उस रुठने वाले को कैसे मनाएं हम, वफ़ा करने पर भी,बेवफा कहलाए हम। जिन्दा हैं उसकी यादों के सहारे, कितने तन्हा और मजबूर.. मर भी न सके और जी भी ना सके हम। सोचा था मोहब्बत की दुनिया बसाएंगे हम, दास्ताँ अपने प्यार की सुनाएंगे हम.. वो दुनिया हमारी जलाते […]

एक औरत गर्भ से थी, पति को जब पता लगा.. कि कोख में बेटी है तो, वो उसका गर्भपात करवाना चाहते हैं। दुःखी होकर पत्नी पति से क्या कहती है- सुनो, न मारो इस नन्हीं कली को, वो खूब सारा प्यार हम पर लुटाएगी.. जितने भी टूटे हैं सपने, फिर […]

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पावन प्रकृति ने प्रातः में, पुनः जगाए प्राण, कोयल के कलरव ने छेड़ी,मधुर गीत की तान। छटा बिखेरी धरती माँ ने,आँचल अपना लहराया, दूर किया सूरज ने आकर,अंधियारा था गहराया। लाल चुनर ओढ़ा दिनकर,करता माँ का सम्मान, पावन प्रकृति ने प्रातः में……। नया सवेरा कई नई,आशाएँ लेकर आया, सच करने […]

गीत एक लिखो.. शहादत पर उनकी, नमन लिखो। छोड़ सुख को चले, सोते आकाश तले.. ऐसे वीरों पर, गीत एक लिखो.. शहादत पर उनकी, नमन लिखो। भारती के आँगन पले, हाड़ मांस गला चले.. ऐसे हीरों पर, गीत एक लिखो.. शहादत पर उनकी नमन लिखो। जलाकर इष्ट की होली, मशाल […]

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उस दिन शायद पूरा भूमंडल रोया होगा, जब धरती माँ ने अपने लालों को खोया होगा। शायद उस दिन भारत माँ ने भी आजादी से इंकार किया होगा, जब बलिदान उसने अपने तीन शेरों को किया होगा। उस दिन फिर भोले ने तांडव किया होगा, जब इनकी फांसी का दिन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।