हँस वाहनी, जगत जननी माँ पाप नाशनी। जग जननी, दुर्गा दुर्गति दूर कर, वर दे। घर-घर से, अफजल निकला व्यर्थ के नारे। मोदी ने योगी, निकाल दिया,अब कौन सँवारे भारत तेरे, टुकड़े होंगे,कहा ये गद्दारों ने। जेएनयू को, बँद करो, मोदी जी इंसाफ करो। […]
काव्यभाषा
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