माँ चूल्हा,धुँआ,रोटी,और हाथों का छाला है माँ, ज़िन्दगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है माँl माँ पृथ्वी है, जगत है,धुरी है, माँ बिन सृष्टि की कल्पना अधूरी हैl तो माँ की यह कथा अनादी है, अध्याय नहीं है, और माँ  का जीवन में कोई पर्याय नहीं हैl तो माँ […]

अमीर गिन रहा नोट यहाँ, हाथ मले किसान। वीआईपी सोए मखमल पे, किसान बांधे खेत मचान।। रात को जागत दिन को भागत, खेतन करे किलोल। खून पसीना बहा दिया, आखिर नहीं मिले उचित मोल।। सपने लाख सजा लिए, ले फसल गए बजरिया की ओर। दाम मिला कम मिला, फिर भी […]

खामोश समंदर की लहरें, खामोशी से उठती हैं। अंधियारे में कोई शमा, जलती और बुझती है।। तूफानी रफ्तार से भी, जब लहरें उठती हैं। हिला देती जहाज़ को, रोके न रुकती है।। वक्त चलता जाता है, लहरों की तरह। दुश्मन से भी मिलिए, अपनों की तरह।।         […]

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कुछ तुलसी कुछ सूर से, कुछ ले दास कबीर। बांच रहे हैं मन्च पर, होकर परम् अधीर। बन गए कवि सैलानी। जनता जाये भाड़ में, लें बटोर ये नोट। पांच साल के बाद फिर, कौन किसे दे वोट? गरीबी मिटा रहे हैं। पत्रकारिता के लिए, पैदा हुए कलंक। जन सेवा […]

सुनो न, सुनो न.. देखो तोड़ रहा हूं, फूल तुम्हारे ख्यालों काl मन की गहराइयों से, एक-एक फूल तुम्हारी यादों का.. रेशम-सा सुनहरा, जो तुमने दिया था.. अब वो धागा न रहा पहनोगी न तुम। सुन रहा हूं, धुन तुम्हारी खामोशी की.. लबों पर जो सजी थी बांसुरी-सी, और घाव-सी […]

टूटकर फिर उगते दरख़्त। उग कर फिर टूटते दरख़्त।। हर मुश्किल से जूझते दरख़्त। आसमां को चूमते दरख़्त।। सर उठाए  झूमते दरख़्त। सर झुकाए जमीं को चूमते दरख़्त।। ज़मीन को न छोड़ते दरख़्त। नहीं किसी को ढूंढते दरख़्त।।   नहीं किसी को छोड़ते दरख़्त। चाहतों की छांव से लुभाते दरख़्त।। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।