हम जीवन भर एक गुरु की तलाश में रहते हैं, जो हमारा मार्ग दर्शन कर सके। जो हमें यह समझा सके कि जीवन को सफल बनाने के लिए क्या किया जाए। हम सभी को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत महसूस होती है जो हमें जीवन के बड़े फैसले लेने में […]

“एक समय था जब अटल बिहारी वाजपेयी की भाषण शैली के कारण मैं उनके सामने बोलने में संकोच करता था और आज सुषमा स्वराज भी मेरे अंदर वाजपेयी की तरह ही ‘कॉम्प्लेक्स’ पैदा करती हैं।” यह बात भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 2012 पार्टी की राष्ट्रीय […]

कश्मीर की आज़ादी, 370 का हटना, 35ए का समाप्त होना, कश्मीरियत का हिंदुस्तानी तिरंगे में लिपट-सा जाना, चश्म-ए-शाही का मीठा पानी देना, झेलम का बासंती उफान, चिनार का खुशियाँ मनाना, चीड़ और देवदार का  झुक-सा जाना, डलका केसरिया बाना, कानून का एक-सा हो जाना, जब जायज है, पर उससे भी अधिक आवश्यक है हिंदुस्तानियों को कश्मीरियत के लिए प्यार लुटाना। यकीन मानिए कश्मीर कभी अलग नहीं था, बस चंद अतिमहत्वाकांशियों की भेंट चढ़ रहा था। मैं कश्मीर जब भी गया, बहुत मोहब्बत पाई, रिक्शेवाले से लेकर भोजनालय वाले तक, भाई से लेकर बहन तक, कश्मीरी भाषा के लेकर हिन्दी तक।कश्मीर के व्याकरण को समझने के लिए कुछ दिन तो गुजारना कश्मीर में। वहाँ कि आवाम भी इन फसाद, जंग, झगड़ों […]

हिन्दू धर्मावलंबियों समेत अन्य धर्मों में भी शायद ही कोई ऐसा मंदिर, मस्जिद या गिरजाघर होगा जो वर्ष में एक दिन के लिए खुलता होगा, लेकिन महाकाल की नगरी उज्जैन में एक दुर्लभ नागचन्द्रेश्वर मंदिर है जो कि प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। इसकी खास बात […]

जैसे पीने-पिलाने वालों के मजे होते हैं वैसे ही राजनीति में गिरने-गिराने के मजे होते हैं। राजनीति में गिराने वाला और गिरने वाला दोनों ही महान माने जाते हैं। राजनीति में आदमी गिरने से पहले पुरजोर कोशिश करता है कि वो किसी को गिरा दे और गिरे नहीं,राजनीति में तो […]

माँ, माटी और मातृभाषा की अनिवार्यता और यथोचित सम्मान की चाह होना हर भारतवंशी का कर्तव्य भी है और नैतिक जिम्मेदारी भी। राष्ट्र केवल लोग नहीं बल्कि वहाँ का समाज, संस्कृति, लोगों के अंदर की भावनाएं, वहाँ की भाषा, वहाँ की जिम्मेदार व्यवस्था मिल कर बनाते है। और राष्ट्र के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।