अब नहीं , रहा विश्वास ,
सब के सब है , धोखेबाज़ ।
मुँह में राम , बगल में छुरी ,
गिराते , एक दूजे पे गाज़ ।।
कैसे करे , विश्वास ,बताओ ,
छल-कपट , का साया है ।
चाहे , कुछ भी हो जाए पर ,
चाहिये , सबको माया है ।।
भाई-भाई , आपस में लड़ते ,
विश्वास , को ताक में रखकर ।
जमीन , जायदाद के खातिर ,
तलवारें , चलती है जमकर ।।
पराये की बात , तुम छोड़ो ,
अब , अपने का , विश्वास नही ।
रिश्तों को , शर्मसार करते ,
आती , इनको लाज नही ।।
भगवान , के ऊपर से भी ,
विश्वास , देखो उठ गया ।
काम ना हो तो , बदल लेते ,
कहते , भगवान रूठ गया ।।
जानवर पर है , फिर भी विश्वास ,
पर इंसान से , विश्वास उठ गया ।
अब तो बचा , राज बेईमानों का ,
हरिशचन्द्र वाला , राज लूट गया ।।
विश्वास बिचारा , इस कलयुग में ,
घुट – घुट , करके मर रहा ।
” जसवंत ” देखो , पगला गया ,
विश्वास , की बाते कर रहा ।।
नाम – जसवंत लाल बोलीवाल ( खटीक )
पिताजी का नाम – श्री लालूराम जी खटीक ( व.अ.)
माता जी का नाम – श्रीमती मांगी देवी
धर्मपत्नी – पूजा कुमारी खटीक ( अध्यापिका )
शिक्षा – B.tech in Computer Science
व्यवसाय – मातेश्वरी किराणा स्टोर , रतना का गुड़ा
राजसमन्द ( राज .)